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સૂયગડાંગ સૂત્ર ભાગ ૪ થા.
हांत पाडी नांथे। (१७) उपडा उढावी नांगो (नागो (श) · (२०) भूल मेंथी अढो, (२१) अंधे। सटावेो (२२) ४भीन उ५२ घसडे। (२३) घोडानी पेठे लो रामो (२४) शूजी ये थडावे (२५) शूणीथी लेही नांओ (२६) भारनु पाएगी छांटे (२७) विधालय तेम १, (२८) सिंहने पूछडे जगाओ। (२८) गणहने पूछडे बणगाडे (३०) भणता अग्निमां नांची, (३१) अगणीनुं मांस जवडावो, (३२) भूमे तरसे भारी, (૩૩) જીંદગી સુધી ચાબખા મારા મધે, આવી કોઇ પણ રીતે તેને કુમાતે મારી નાંખેા.
जावि य से अभितरिया परिसा भवइ, तंजा मायाइवा पियाइवा भायाइवा भगिणीइवा भजाइवा पुत्ताइवा धूत्ताइवा सुहाइवा तेसिं पियणं अन्नयरंसि अहा लहुगंसि अवराहंसि सयमेव गरुयं दंडं णिवत्तेड़, सीओदगवियसि उच्छोलित्ता भवइ जहा मित्त दोस वत्तिए जाव अहिए परंसि लोगंसि, ते दुक्खति सोयंति जूरंति तिप्पंति पिति परितप्पंति तें