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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जम्बु चरित्र । हो आयो तिहां, माताजी ऊना जिहां ॥ ७७ अरणक कहे रोय मत मात हुं बु तेरो सुत विख्यात तव ते माता बोली जिहां, रे सुत तेरो संयम किहां ७७ ॥ पुत्र कहे माता सुन बात, मुझसुं संयम पड़ें न मात । संयम मारग डुक्कर कही, साहसीक नर पाखें सही ॥ नए ॥ हूं तो माता कायर रही तव ते गुरणी थैसा कही। हेअरणक कुल अपना देष, चिन्तामणि सुं अधिक बिसेष ॥ए॥ चिंता मणि सम संयम जान. मत मूको उत्तम गुण खान सुनी बचन माताका जवें, ते प्रतिबोध पामियो तवें ॥१॥ फिर संयम थाराध्यों सही, बिरें उप्ल कालमे रही। विषम परीसह अन शन कियो मोह ममतमूकी सब दियो ॥ए ॥ साधू अरणक पैसा नया, अन सन ले सुरलोके गया। इक अवतारी हो से सही, हे जम्बू संयम श्म कही ए३ ॥ (दोहा) जम्बू धर्माचार्य ने, नायें दो कर जोड़। कायर ने पुक्कर हुवे, साहसीक ने थोड़ ए४ ॥ स्वामी सुधर्मा जानियो, जव्य जीव ए होय । निर्मल ज्ञान एह बे, धन २ जम्बू सोय ए५ ॥ श्री गुरु जम्बूने दियो, चारित्र रूप निधान For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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