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मम्बु चरित्र ।
राणी की ड्योढ़ी जिहां । श्रागे बात बहुत विस्तार श्रोता सुनियो श्रवण मकार ॥ ३६ ॥ पटरानी राजाकी तिहां, फीलवानसु खुवधी जिहां। हाथी सजकर थाया रेन, पटरानीको कीन्हा सैन । राणी गो धैठी थाय, हाथी अपना सन्म नाय ३०॥ पटरानीको लिया उतार, ते देख देवदास सुनार । महावत राणी करि जोग, राखी गौख न देखे लोग ॥ ३ए ॥ बुढा देख विचारन लगा, श्राज सकस चिन्ता मुफ नगा। जो राजाके घर ए घात, मुफ गरीवकी कौन बिसात ॥ ४ ॥ दोहा) चिन्ता मिटी सुनारकी, श्राइ निभाधार प्रात समे नृप देखियो, एतो सुता जोर ॥४१॥ राजा पूढे तेहसु, साची कहियो मुस। आगे नीद न श्रावती, क्युं थाइ थव तुस ॥ ४५ ॥ तव सुनार कदि रायसुं, रेनीका संजोग । इस्ती राणी शानियो, कियो महावत जोग ॥४३॥ राय हुकम तवही कियो, तिनोको ले जाय । वैजार गिर पर वतसुं, दीजो सही गिराय ॥ ४ ॥ दया करी सब लोकनें, नृपसुं दियो बुड़ाय । फीलमानको काडियो, राणी सङ्ग लगाय ॥ ४५ ॥ (चौपाइ)
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