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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०० परदेशी राजाकी चौपाइ । विचार ए । एक देवे पण करडो बोल ए, निव‍ गांवडी खोल ए ॥ ३३ ॥ पूजो नरमाइ करे aणी ए, पण पोंच नहीं देवा तणी ए । तीजो सनमान दे बहु धरे ए, चोथो उलटी धकाधुमी करे ए ॥ ३४ ॥ गुरु कड़े चार मांहि ए, कुण व्यवहारी कहाय ए । दावक थुवक या ए, ले जावे दरबार में ताण ए ॥ ३५ ॥ मुखसे काढे गालीयो ए, थारो बाप दादो दिवालीयो ए । कुण कहे व्यवहारीयो ए, रायने कहे किम थे धारीयो ए ॥ ३६ ॥ राय कहे व्यापारी तीन ए, चोथो नहीं प्रवीण ए । बलता गुरु बोल्या तरे ए, राजा तुं पेक्षा व्यापारी परे ए ॥ ३७ ॥ वांका प्रश्न बातां कड़ी ए, पण जाणुं तुं व्रत लेसी सही थे । में लाधो थारो पारखो ये, तुं पहिला व्यापारीनी सारखो थे ॥ ३८ ॥ जड को राजा खेदे मर्यो, पण थेटलो का ठंढो पड्यो थे । कोई खुशामदी नहीं करी थे, समजायो निज न्यायर्थी थे ॥ ३९ ॥ आबा कह्या देत जुगत थे, तिसुं बेगी मिले मुगत थे । माइशे मत सुन को', राजा सूत्र अनुसारे में लह्यो थे ॥ ४० ॥ 1 For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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