________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Mas,bekas,cevaplar,sekarakan Bexom,Bexar
आप, एकांतमें घंटों तक खडे-खडे ध्यान करते थे । कितनी बार तप्त हुई बालुका पर बैठकर आतापना लेते थे । एक बार सिरोहीमें खड़े-खड़े ध्यान करते थे, सहसा चक्कर आनेसे गीर गये । सब साधु सोये हुये उठ गये । सबनें आपको विनंती की, कि आपका शरीर अब बलहीन हो गया है । इसलिये बैठे-बैठे ध्यान कीजिये | आपकी सुखाकारी से संधमें और समुदायमें क्षेमकुशल रहेगा । तब आपने नश्वरदेहकी ऐसी महिमा समझाई कि, सब मुनि स्तब्ध हो गये और आपनें देह पर का ममत्व कितना दूर किया है उसकी प्रशंसा करने लगे।
__ आप, जैसे ज्ञानी-ध्यानी-अष्टप्रवचनमाताके पालनमें सतत उपयोगशील थे । ऐसे तपस्वी भी थे । आपनें अपने जीवनमें ८१ अठ्ठम, २२५ छठ, ३६०० उपवास, दो हजार आयंबील, दो हजार नीवी के साथ वीशस्थानक तपकी वीश बार आराधना-तपस्या की थी।
तीन महिने तक ध्यानमें बैठकर सूरिमंत्र का जाप किया था । और तीन महिने तक ध्यानमें बैठकर सूरिमंत्र का जाप किया था । और तीन महिने तक दिल्ली में एकासण-आयंबील-नीवी एवं उपवास किया था । ज्ञान की आराधनार्थे २२ महिने तपस्या की और गुरूतपमें २३ महिने तक छठ्ठ-अठ्ठम आदि किया था । रत्नत्रयीकी आराधनाके लिये २२ महिने बारह प्रतिमा वहन की थी ।
आपके देहमें वय और अशुभोदयसे राग आक्रांत हो गया था । आपने औषध लेनेका बंद कर दिया । संधमें हाहाकार मच गया । श्रावकोंने उपवास करके, और श्रावीकाओंने संतानोको स्तन पान कराना बंदकर हडताल पर उतर गये, और उपाश्रयमें सूरिजी दवाई ले इस लिये बैठ गये ।
सोमविजयजी आदि साधु के अति आग्रहसे अपनी इच्छा विरूद्ध औषध लेनेकी स्वीकृति दी । चंद्रको देखकर सागर उमटता है ऐसे संघमें हर्षका सागर उछल पड़ा । exorcelas,Bekasvarexas,gekas,celascoelas
301
For Private and Personal Use Only