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___बादशाहने पूछा, अकस्मात क्यों जानेका सोचा ? तब उपाध्यायजीनें कहा, कल इदके दिन हजारो नहीं बल्के लाखों जीवों की कतल होनेवाली है । उनके आर्तनाद से मेरा हृदय भारि कंपित हो जायेगा, इसलिये जाने का विचार किया है।
सूरिजी के पास बादशाहने जीवहिंसामें महापाप है । यह बात बहुत दफे सुनी थी । अतः उसने अपने उमराव-सरदार-अबुल-फजल और मौलवीओ को बुलाकर मुसलमानों का परम श्रद्धेय धर्मग्रंथ को पढाया । बाद लाहोर में ढंढेरा पिटवा दिया कि कल इदके दिन कोई भी व्यक्ति किसी भी जीवकी हिंसा न करे ।
थोडे दिन बाद उन्होंने बादशाह के पास से मोहरमके महिनें और सूफी लोग के दिनों में तथा बादशाह को तीन लडके जहांगीर, मुराद और दानीयाल के जन्म दिन के महिने में जीव हिंसा नहीं करने का फर्मान जाहिर कराया था । सब मिलकर एक सालमें 'छ: महिनें और छ: दिन अधिक' अपने सारे राष्ट्र में जीवहिंसा बंद करवाई थी । इतना सूरिजीका बादशाह पर प्रभाव पडा
था ।
उपाध्यायजी वहांसे विहार कर गुजरात पधारे, तब भानुचन्द्र और सिद्धिचंद्र गुरू-शिष्य बादशाह के पास ठहरे थे । उन्होंने अपनी विद्वता और कुछ चमत्कारपूर्ण विद्या से बादशाह को बहुत आदरवाला बनाया था । बादशाह जहां जाते थे वहां भानुचन्द्रजी को साथ में ले जाते थे ।
एक समय की बात है । बादशाह के शिर में बहुत पीडा हुई । वैद्य, हकीमों की दवाई की, मगर पीडा शांत न हुई । तब उसने भानुचंद्रजी को बुलाकर, उनका हाथ अपने शिर पर रख दिया । थोड़ी ही देरमें दर्द नष्ट हो गया । इसकी खुशाली में उमरावोंने कुर्बान के लिये पांचशौ गाय इकट्ठी की। SABSESSORDS, BSORBSESSOCIBSICSSRDSMISSPROSHNSORDSMISSIRSSHES
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