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बेकर जोडी स्वामी विनवुं जी,
हुं तो मागं मागं चरणनी सेव जो,
हां रे हु तो मागुं मुक्तिमां वास जो,
हां रे हुं तो कदीए न आवुं गर्भवास जो. स्वामी सीमंधर मुजने मेळवोजो.
(२)
सुणो चंदाजी ! सोमंधर परमातम पासे जाजो, मुज विनतडी ! प्रेम धरीने एणी परे तुमे संभळाव जो,
जेवणभुवननो नायक छ, जस चोसठ इन्द्रो पायक छे. नाण दर्शन जेहने क्षायक छे
जेनी कंचनवरणी काया छे, जस धोरी लंछन पाया छे. पुंडरीगिणी नगरीनो राया छे.
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चार पर्षदा मांही बिराजे छे, जस चोत्रिश अतिशय छाजे छे. गुण पांत्रिश वाणीए गाजे छे.
भविजनने जे पडी बोहे छे, तुम अधिक शीतळ गुण सोहे छे. रूप देखी मविजन मोहे छे.
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सुणो०
सुणो०
सुणो•
सुणो०