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-: धृत मंत्र :"ॐ धृतमायुर्वद्धिकरं, भवति परं जैन दष्टिसम्पर्कात् । तत्संयुक्तः प्रदीपः पातु सदा भावदुखेभ्यः स्वाहा ॥" श्री दीप प्रगटाववानो मंत्र वणवार भणी दीप प्रगटाववो ।
-: श्री दीप प्रगटाववानो मंत्र :"ॐ अहँ पंच-ज्ञान महाज्योतिर्मयोऽयं ध्वान्तघातने । द्योतनाय प्रतिमाया, दीयो भूयात् सदाऽर्हतः ॥"
श्री कुंभनी जमणी बाजुए ज्यां श्री दीपने स्थापन करवाना स्थाने कंकुनो स्वस्तिक करी उपर भीजावेल माटीनुं स्थान करी, ते उपर दीप स्थापन करावी निम्नोकत मंत्र वणवार भणी पू. गुरुमहाराजश्री पासे वासक्षेप कराववो ।
-: श्री अग्नि शुद्धि मंत्र :"ॐ अग्नयोऽग्निकाया एकेन्द्रिया जीवा निरवद्याईत्पूजायां निर्व्यथाः संतु, निष्पापाः संतु, सदगतयः संतु, न मे संघट्टनहिंसाईदर्चने"
इति श्री दीप स्थापन विधि
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