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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुखमां थी वाणी नोकळे ने जाणे फुलडां खरे... एकज शब्द, मानव, देव, दानव, अने पशु-पंखीगख १२ पर्षदा...पोत पोतानी भाषामां समजी जाय... जे घाणीमां आत्मा अने जडनुं तत्त्व छे. ज्ञानदेनार... अज्ञान दूरकरनार भवभ्रमणने भांगनार छ ए वाणीना जादुथी हजारो भव्यो प्रमपंथे संचर्या...आ प्रमाणे वाणीनी बर्षा वरसावतां प्रभुजी सीमंधरस्वामी पृथ्वीतलने पावन करे छे... भव्य कमलोने प्रकाश द्वारा विकास करावे छे...अने परहित करतां प्रभुजी पश्चिम महाविदेहनी भूमि पर कर्मयज्ञ जलावी ध्यान-ज्ञाननी आहता द्वारा आत्मानी ज्योति जगावे छे... जेनी सेवामा हजारो देव देवेन्द्रो हजुर छे...जेना १००८ उत्तम लक्षणो छ, ३४ अतिशयो...३५ गुण वाणीना छे, जेनी कंचनवरणी काया छे...१२ गुणोथी युक्त छे... तरणतारण जहाज सरीखा, महागोप, महा माहण, महा निर्यामक अने महासार्थवाह एषा अनेक बिरुदो धरावनार... सूर्यसमान प्रभुजी भव्योपकार करता ८४ लाख पूर्व- आयु पूर्ण करी...चार कर्म जलावी...पृथ्धुत्वैकत्ववत्वैकत्व आदि ध्यानांतरथी भव जंजाल तोडी श्रावणसुद तृतीया दिने भरतक्षेत्रना आवती चोवीशीना उदय अने पेढाल प्रभुजीना अंतरकालमां सिद्यिवधूनी साथे प्राणिग्रहण करशे... For Private and Personal Use Only
SR No.034236
Book TitleBharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitgunashreeji
PublisherSundar Sahitya Seva Sadan
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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