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तारा दर्शन विना दुनियाना सर्व दर्शन निरसन छ.... तारा साथ विना सर्व संगाथ अनाथ जेवा छे...
तारा आधार विना सर्व आधार निराधार छ...
तारा विना अमारानी खबर बेखबर ज छ...
हे प्रभु! हे किरतार · तुं तो कृरासागर छ. . . जगतनो रखवाळ छ। हुं वधु शुं कहुं, तारो ज विश्व पर विशेष उपकार छ. . .तुंज दुनियाना कल्याणनी दोर छो, मारा अंतरनो ईजार छो, अने हुं तमारा दर्शन माटे इंतेजार छु ।
आज चारे बाजु विषम वातावरण आ भरत सर्जायु छ, ज्यां ज्यां नजर करीजे त्या त्यां जाणे अध्यात्मनी कुंजार पर ठारी दे, एवी विलासनी कातिल अने शीतल ठार. जोवन मुरजावी नांखे एवो होम शीतलता सामे कोण कामयाब बनी शके?...
आवी कपरी दशामां कोनं शरणं? कोन आलंबन ? कोण रक्षक ? कोण राही?
शुं सत्य ? शुं असत्य ? कोण भेद बतावे ? मननी शंकासमाधान कोण निवारे प्रश्नना तरंगो कोण समावे? कोण सत्यपंथ राही राह बतावे? आवी परिस्थितिमा आत्माने पथदर्शक तरीके एक अमुल्य भेट छ । ते आगम... सिद्धांत, के जे आत्माना दर्शन करावनार नयन समान-सूताने जगडनार ऐक गुलाबी प्रमात सरखा छे। अंधानी लाकडी समान काम करनारो छ। छतां
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