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आशा फळे छ
सुप्रभाते, शांतिना संदेशमां, करुणा सभर वातावरणमां, देवना दिलमांथी दयानो स्रोत वहेतो वहेतो भक्तनी समीप आवशे....आवशे ..
एकज वात! देवाधिदेव! अंतर नहि हवे ताशमां अने मारामां आत्ममंदिरमा हे सिमंधरस्व मि! आपनं प्रतिष्ठित प्रतिबिंब पधरावायछे...ने ते कमाल करी जाय छे.
भावनानी कतारमा रहेली कृपान कोमल दर्शन जाणे साक्षात करावी जाय छे.
भावनाना वेगमां क्षणभर भूली जाय छे भरतक्षेत्रने, पोताने, अन्यने अने! अने ध्यान स्वप्नमां एवो उडो उतरी जाय छ आत्मा, के अज्ञानरूपी अंधकारने धकेली देवानं काम ए स्वप्नद्वारा क्षणमां थइ नाय छ । प्रकाश प्राप्त थाय छे. ए ज्ञानप्रकाशद्वारा चर्मचक्षु पण दिव्यचक्षु बनी उंडं आतमनं संशोधन करवा मथे छे.
आ ज छे अनुभत आनंद स्वरमणता. आनंदनी अनुभूति विमानो लुक्खु फिक्कु जीवन जीवनारो, ससारनी सपाटी उपर सरकतो ज जाय छे.
जीवन शुं छे। शामाटे जीववानु छ ? एनो विकास ? प्रारंभ ? के अंत ? आ बधू जाणे एने तत्त्वमां ज भासे छे. एने
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