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________________ ९७. सुख, कल्याण, मोच, अनुगामित होते हैं. (१) अवधिज्ञानकी प्राप्ति, (२) मनः पर्यवज्ञानकी प्राप्ति, (३) केवळज्ञानकी प्राप्ति होती है. इसी माफिक एक रात्रिकी भिक्षु प्रतिमाको जैसे इसका कल्पमार्ग यावत् आज्ञाका आराधक होते है. इति । १२ । नोट-मुनियों की बारहा प्रतिमा यहांपर बतलाई है. इसके सिवायभी सात सतमीया, आठ आठमीया, नौ नौमीया, दश दशमिया भिक्षु प्रतिमा जनमञ्ज, चन्द्रमञ्ज, भद्रप्रतिमा, महाभद्रप्रतिमा, सर्वोत्तर भद्रप्रतिमा, आदि भिक्षु प्रतिमा शास्त्रकारों ने बतलाइ है. प्रायः प्रतिमा वह ही धारण करते है, कि जिन्होंके वज्र ऋषभ नाराच संहनन होते है. प्रतिमा एक विशेष अभिग्रहको कहते हैं. शरीर चले जाने - मरणान्त कष्ट होनेपर भी अपने नियमसे चोभित न होना उसीका नाम प्रतिमा है. इति दशाश्रुत स्कन्ध सातवा अध्ययनका संक्षिप्त सार. [6] आठवा अध्ययन. ते काले इत्यादि तस्मिन् काले तस्मिन् समये, काल चतुर्थ चारा, समय - चतुर्थ आरेमें तेवीश तीर्थंकर हुवे है. उसमें यह बात कौनसे समयकी है, इसका निर्णय करनेको कहते हैं कि समय वह है कि जो भगवान् वीर प्रभु विचर रहेथे.
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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