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________________ रुचिवान् बने, तीर्थंकर भगवानने फरमाये हुवे पवित्र धर्ममें दृढ श्रद्धा रखे. जीवादि पदार्थका स्वरुपको निर्णयपूर्वक समझे. हेय, ज्ञेय और उपादेयका जानकार बने. यह प्रथम सम्यक्त्व प्रतिमा. चतुर्थ गुण स्थानवी जीवोंको होती है. सम्यक्त्वकी अन्दर देवादि भी क्षोभ नहीं कर सके. निरतिचार सम्यक्त्वका आराधन करे. परन्तु नवकारसी आदि व्रत प्रत्याख्यान जो जानता हुवा भी मोहनीय कर्मके उदयसे प्रत्याख्यान करनेको असमर्थ है. इति प्रथम सम्यक्त्व प्रतिमा. (२) दूसरी व्रत प्रतिमा-जो पूर्वोक्त धर्मकी रुचिवाला होते है, और शील-प्राचार, व्रत-नवकारसी आदि दश प्रत्याख्यान, गुणवत, विरमण, प्रत्याख्यान, पौषध (अवैपारादि), ज्ञानादि गुणोंसे आत्माको पुष्ट बनानेको उपवास कर सकते परन्तु प्रत्याख्यानी मोहनीय कर्मोदयसे सामायिक और दिशावगासिक करनेको असमर्थ है. इति दूसरी प्रतिमा. (३) सामायिक प्रतिमा-पूर्वोक्त सम्यक्त्वरुचि व्रत, प्रत्याख्यान, सामायिक, दिशावगासिक सम्यक प्रकारसे पालन कर सके, परन्तु अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावास्या, ( कल्याणक तिथि ) प्रतिपूर्ण पौषध करनेमें असमर्थ है इति तीसरी सामायिक प्रतिमा. (४) चोथी पौषध प्रतिमा-पूर्वोक्त धर्मरुचिसे यावत् प्रतिपूर्ण पौषध कर सके, परन्तु एक रात्रिकी जो प्रतिमा (एक
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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