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________________ कुल मना की गइ है, परन्तु यहांपर अपवाद है कि दुसरा मकान न मिलता हो या दुसरे गाम जानेमें असमर्थ हो तो ऐसे अपवादका सेवन करके मुनि अपना संयमका निर्वाह कर सकता है। (२) साधु साध्वीयों जिस मकानमें ठहरना चाहते है, उस मकानमें सुरा जातिकी मदिरा, सोवीर जातिकी मदिराके पात्र ( बरतन ) पडा हो, शीतल पाणी, उष्ण पाणीके घडे पडे हो, रात्रि भर अग्नि प्रज्वलित हो, सर्व रात्रि दीपक जलते हो, ऐसा मकानमें हाथकी रेखा सुझे वहां तक भी साधु साध्वीयोंको नहीं ठहरना चाहिये । अपने ठहरनेके लिये दुसरा मकानकी याचना करनी । अगर याचना करनेपर भी दुसरा मकान न मिले और ग्रामान्तर विहार करनेमें असमर्थ हो, तो उक्त मकानमें एक रात्रि या दोय रात्रि अपवाद सेवन करके ठहर सकते है, अधिक नहिं । अगर एक दो रात्रिसे अधिक रहै तो उस साधु साध्वीको जितने दिन रहै, उतने दिनका 'छेद तथा तपका प्रायश्चित होता है । ३ । ४ । ५ । (६) साधु साध्वीयों जिस मकानमें ठहरना चाहे उस मकानमें लड्डु, शीरा, दुध, दही, घृत, तेल, संकुली, तील, पापडी, गुलधाणी, सीरखण आदि खुले पडे हो ऐसा मकानमें हाथकी रेखा सुझे वहांतक भी ठहरना नहीं कल्पे । भा १-दीक्षाकी अन्दर छेद कर देना अर्थात् इतने दिनोंकी दीक्षा कम समजी जाती है।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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