SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 308
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्दर, चोरा ( हथाइकी बैठक ), चौकके मकानमें और जहाँ पर दोय तीन च्यार तथा बहुतसे रस्ते एकत्र होते हो, ऐसे मकानमें साध्वीयोंकों उतरना और स्वल्प या बहुत काल ठहरना उचित नहीं हैं । कारण एसे स्थानों में रहनेसे ब्रह्मचर्यकी गुप्ति ( रक्षा ) रहनी मुश्कील हैं। भावार्थ-जहांपर बहुतसे लोगोंका गमनागमन हो रहा है, वहांपर साध्वीयोंको ठहरना उचित नहि है। (१३) पूर्वोक्त स्थानों में साधुवोंको रहना कल्पे । (१४) जिस मकानके दरवाजोंके किवाड न हो अर्थात् रात दिन खुला रहेते हो, ऐसे मकान में साध्वीयोंको शीलरक्षाके लीये रहेना कल्पे नहीं। (१५) उक्त मकानमें साधुवोंको रहेना कल्पै । (१६) साध्वीयों जिस मकानमें उतरोहो उसी मकानका किवाड अगर खुला रखना चाहती हो तो एक वस्त्रका छेडा अन्दर बांधे और दुसरा छेडा व्हार बांधे । कारण-अगर कोइ पुरुष कारणवशात् साध्वीयोंके मकानमें आना चाहता हो, तोभी एकदम वो नहीं आसकता । भावार्थ-यह सूत्र साध्वीयोंके शीलकी रक्षाके लीये फरमाया है। (१७) घडाके मुख माफिक संकुचित मुखवाला मात्राका
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy