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________________ १६२ aat करेगा. कोइ पेशाब करेगा. कोइ श्लेष्म करेगा इस पुत्र पुत्रीयोंके मारे सोमा महा दुःखणि होगी. उसका घर वडाही, दुर्गन्ध वाला होगा. इस बाल बचके अबादासे सौमा अपने पति रष्टकुटके साथ मनोइच्छित सुख भोगवनेमें असमर्थ होगी । उस समय सुव्रता नामकि साध्वी एक सिंघाडासे गौचरी आवेगी, उसको भिक्षा देके वह सोमा बोलेगी कि हे आर्य ! आप बहुत शा का जानकर हो मुझे वडाही दुःख है कि में इस पुत्र पुत्रीयोंके मारी मेरे पति के साथ मनुष्य संबधि भोग भोगव नही सक्ती हु वास्ते कोइ एसा उपाय बतलावों कि अब मेरे बालक नहो इत्यादि, साध्वि पूर्ववत् केवली प्ररूपित धर्म सुनाया. सोमा धर्म सुन दीक्षा लेनेका विचार करेगी साध्विजी से कहा कि मेरे पतिकी आज्ञा ले मैं दीक्षा लेहुगी । पतिसे पुच्छने पर ना कहेगा कारण माता दीक्षा ले तो बालकोंका पौषण कोन करे सोमा साध्विजी के वन्दन करनेकों उपासरे जावेगी धर्मदेदेशना सुनेगी श्रावकधर्म बारह व्रत ग्रहन करेगी। जीवादि पदार्थका अच्छा ज्ञान करेगी । साध्वि वहांसे विहार करेगी. सोमा अच्छी जानकार हो जायगी. कितने समय के बाद वह सुव्रता साध्विजी फीर आवेगी. सोमा श्राविका वादनको जावेगी धर्म देशना श्रवणकर अपने पतिकि अनुमति लेके उस साध्विजीके पास दीक्षा धारण करेगी. विनय भक्तिकर इग्यारा आंगका अभ्यास करेगी। बहुत से चोथ छठ, अष्टम मासखमण अदमासखमणादि तपश्चर्या कर अन्तिम आलोचन कर आदा मासका अनसन कर समाधिमें काल कर सौधर्म देवलोक शकेन्द्रके सामानिक देव दो सागरोपमकि स्थिति में देवपणे उत्पन्न होगी। वहांपर देवसंबन्धि सुखोंका
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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