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________________ १५० जनप्रसाद करवायके मेरा जेष्टपुत्रको गृहभार सुप्रतकरके । ताप. सो संबन्धी, भंडोमत्त कारण, बनवाकर जो गंगा नदीपर रहेने. वाले तापस है उसके नाम (१) होमकरनेवाले (२) वस्त्र धारण करनेवाले (३) भूमि शयन करनेवाले (४) यज्ञ करनेवाले (५) जनोइ धारण करनेवाले (६) श्रद्धावान (७) ब्रह्मचारी (८) लोहेके उपकरणवाले (९) एक कमंडल रखनेवाले (१०) फलाहार (११ एकवार पाणी में पेसनिकल भोजन करे (१२) एवं बहुतवार० (१३. स्वल्पकाल पाणीमे रहै (१४) दीर्घकाल रहै (१५) मटी घसके स्नान करे (१६) गंगाके दक्षिण तटपर रहेनेवाले (१७) एवं उत्तर तटपर रहेनेवाले (१८) संख वाजाके भोजन करे (१९) गृहस्थके कुलमे जाके भोजन करे (२०) मृगा मारके उसका भोजन करे (२१॥ हस्ती मारके उसका भोजन करे (२२) उर्ध्वदंड रखनेवाले (२३) दिशापोषण करनेवाले (२४) पाणीमे वसनेवाले (२५। बील गुफावासी (२६) वृक्षनिचे वसनेवाले (२७) वल्कलके वस्त्र वृक्षकि छालके वस्त्र धारण करनेवाले (२८) अंबु भक्षणकरे (२९) वायु भक्षण करे (३०) सेवाल भक्षण करे (३१) मूल कन्द त्वचा पत्र पुष्प फल बीजका भक्षण करनेवाले तथा सडे हुवे विध्वंसे हुवे एसा कन्दमूल फल पुष्पादि भक्षण करनेवाले (३२) जलाभिशेष करनेवाले (३३) यंस कावड धारण करनेवाले (३४) आतापना लेनेवाले (३५) पंचाग्नि तापनेवाले (३६) इंगाले कोलसे, कष्टशय्या इत्यादि जो कष्ट करनेवाले तापस है जिस्के अन्दर जो दिशापोषण करनेवाले तापस है उन्होंके पास मेरे तापसी दीक्षा लेना और साथमे एसा अभिग्रहभि करना, कि कल्पे मुझे जावजीव तक सूर्यके सन्मुख आतापना लेताहुवा छठ छठ पारणा करना आन्तरा रहीत, पारणाके दिन च्यारोतर्फ क्रमःसर दिशावोंके मालक देवीदेव है उन्होंका पोषण करना जैसे जिसरोज छठका पारणा आवे उस
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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