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________________ क्रीडा करनेको रास्तेमे आता हुवा गौतमस्वामिकों देखके अ.. मन्तों कुमर बोलाकि हे भगवान! आप कोनहो ओर कीस वास्ते इधर उधर फीरते हो? गौतमस्वामिने उत्तर दीयाकि हे कुमर हम इर्यासमिति यावत् ब्रह्मचर्य पालने वाले मुनि हे ओर समुदाणी भिक्षाके लिये अटन कर रहे है। अमन्तोकुमार बोलाकि है भगवान हमारे वहां पधारे हम आपको भिक्षा दीरावेगे,, एसा कहके गौतमस्वामिकी अंगुली पकड़के अपने घरपर ले आये श्री देवीराणी गौतमस्वामिकों आते हुवे देखके हर्ष संतोषके साथ अपने आसनसे उठ सात आठ पग सन्मुख गई वन्दन नमस्कार कर भात्त पाणीके घरमे ले जायके च्यार प्रकारका आहारका सहर्ष दान दीया। ___ अमन्तोकुमर गौतमस्वामिसे अर्ज करी कि हे भगवान आप कहांपर विराजते हो? हे अमन्ता! इस नगरके बाहार श्रीवनोद्यानमे हमारे धर्माचार्य धर्मकी आदिके करनेवाले श्रमण भगवान वीरप्रभु विराजते है उन्होंके चरण कमलोमें हम निवास करते है। अमन्तोकुमरबोलाकि हे भगवान! में आपके साथ चलक आपके भगवान वीर प्रभुका चरण वन्दन करू " जहा सुखं । " तव अमन्तों कुमर भगवान गौतमस्वामिके साथ होके श्रीवनोद्यानमे आके भगवान वीरप्रभुकों वन्दन नमस्कार कर सेवा भक्ति करने लगा। भगवान गौतमस्वामि लाया हुवा आहार भगवानको वता पारणो कर तप संयममे रमनता करने लगा। १ ढुंढीये लोक कहते है कि एक हाथमे गौतमके झोलीथी दुसरे हाथकि अंगुली अमन्तेने पकडली तो फीर खुले मुहवातों केसे करी वास्ते मुहपति वन्धनेकोंथी ? उत्तर एक हाथकि कुणीपर झोळी औरहाथमे मुहपत्तीसे यत्ना वरीथी दुसरे हाथकी अंगुली अमन्ताने पकडीथी आजभी जैन मुनि ठीक तौरपर बोल सकते हैं ।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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