SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ર (E) नववा अध्ययन नन्दनीपिताधिकार | सात्थी नगरी कोष्टकोद्यान जयशत्रु राजा । उन्ही नगरीमें नन्दनीपिता गाथापती था उन्होंके अभ्वनि नामकी भार्या थी और बारह कोड सोनइयाका द्रव्य तथा चार गौकुल अर्थात् चालीस हजार गायो थी जैसे आनन्द । भगवान पधारे आनन्दकी माफीक श्रावक व्रत ग्रहण किये arfan चौदा वर्ष गृहस्थावास में श्रावक व्रत पालन कीये साढा पांच वर्ष श्रावक प्रतिमा वहन करी अन्तिम आलोचन कर एक मासका अनशन कर समाधिपूर्वक काल कर सौधर्म देवलोकके अरुणग्रवे वैमान में च्यार पल्योपम स्थितिके देवता हुवा | वहांसे आयुष्य पूर्ण कर महाविदेह क्षेत्र में मोक्ष जावेगा । इतिशम् । →→£(@»*•(१०) दशवां अध्ययन शालनीपिताधिकार | साथी नगरी कोष्टकोद्यान जयशत्रु राजा । उन्ही नगरी में शालनीपिता नामका गाथापति वसता था । उन्होंके फाल्गुनि नामकी भार्या थी । बारह कोड सोनइयाका क्रय और चालीस हजार गायों थी । भगवान पधारे आनन्दकी माफीक श्रावक व्रत ग्रहण किये । साढा चौदा वर्ष गृहस्थावासमें श्रावक व्रत, सादा पांच वर्ष श्रावक प्रतिमा वहन करी अन्तिम आलोचन कर एक मासका अनशन कर समाधिपूर्वक काल कर सौधर्म देवलोक में अरुणकिल aurat aort पल्योपमकी स्थितिमें देवतापणे उत्पन्न हुवे वहां
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy