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पकार मानते हुवे भक्तिपूर्वक यह अभिनन्दनपत्र आपश्रीके करकमलोंमें अर्पण करते है, आशा है कि आप इसे स्वीकार कर हम लोगोंको कृतार्थ बनावेंगे।
___ता०क०-जैसे आपश्रीके शरीरके कारणसे आप यहांपर तीन चातुर्मास कर हम लोगोंपर उपकार किया है. अब तक भी आपके नेत्रोंका कारण है, वहांतक यहां पर ही बिराजके हम लोगोंपर उपकार करे. उमेद है कि हमारी विनति स्वीकार कर आपके कारण है वहांतक आपश्री अवश्य यहां पर ही बिराजेंगे । श्रीरस्तु कल्याणमस्तु ।
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संवत् १९७९ का कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी
जनरल सभाम
आपश्रीके चरणोपासक फलोधी श्री संघ.