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३८ साधु साध्वीयोंका संभोगको तोडदेना . ३९ साधु साध्वीयोंके वास्ते दीक्षा देना ४० प्रामादिकमें साधु २ कालकर जावे तो ४१ ठेरे हुवे मकानकि पहले आज्ञा लेना ४२ स्थवीरोंके अधिक उपकरण ४३ अपना उपकरण कहां भी भूला हो तो ४४ पात्र याचना तथा दुसरेको देना ४५ उणोदरी तप करने की विधि. ४६ शय्यातर संबंधी अशानादि आहार ४७ साधुवोंके प्रतिमा वहान अधिकार, ४८ पांच प्रकारका व्यवहार ४९ चौभंगीयों ५० तीन प्रकारके स्थवीर तथा शिष्यभूमि ५१ छोटे लडकेको दीक्षा नही देना ५२ कोतने वर्षोंकि दीक्षा ओर कोनसे सूत्रपढाना
५३ दश प्रकारकि वैयावचसे मोक्ष [२२] श्री शीघ्रबोध भाग २२ वां. (१) श्री लघु निशिथमूत्र ( छेद ) १निशिथसूत्र २ उद्देशो पहलो बोल ६० का प्रायश्चित्त ३, दुसरो ,,, १ , तीजो , ८२
५, चोथो ,१६८ ... ६, पांचवो , ७८ ,
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