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________________ ३६४ संगीतरत्नाकर: [सं० ९९९ 10 20 30 40 60 सनिगरिपमध, निसगरिपमध, ,1000 गनिसरिपमध, निगसरिपमध, रिगनिसपमध, गरिनिसपमध, रिनिगसपमध, निरिगसपमध, गनिरिसपमध, निगरिसपमध, सरिपनि गमध, रिस पनिगमध, " सपरिनिगमध, पसरिनिगमध, रिपसनिगमध, परिसनिगमध, सरिनिपगमध, रिसनिपगमध, सनिरिपगमध, निसरिपगमध, रिनिसपगमध, निरिसपगमध, " सपनिरिंगमध, पसनिरिंगमध, सनिपरिगमध, निसपरिगमध, पनिसरिगमध, निपसरिगमध, रिपनिसगमध, परिनिसगमध, रिनिपसगमध, निरिपसगमध, ° पनिरिसगमध, निपरिसगमध, सगपनिरिमध, गसपनिरिमध, सपगनिरिमध, पसगनिरिमध, गपसनिरिमध, पगसनिरिमध, सगनिपरिमध, गसनिपरिमध, ° सनिगपरिमध, निसगपरिमध, गनिसपरिमध, निगसपरिमध, सपनिगरिमध, पसनिगरिमध, सनिपगरिमध, निसपगरिमध, पनिसगरिमध, निपसगरिमध, " गपनिसरिमध, पगनिसरिमध, गनिपसरिमध, निगपसरिमध, पनिगसरिमध, निपगसरिमध, रिंगपनिसमध, गरिपनिसमध, रिपगनिसमध, परिगनिसमध, ° गपरिनिसमध, पगरिनिसमध, रिगनिपसमध, गरिनिपसमध, रिनिगपसमध, निरिंगपसमध, गनिरिपलमध, निगरिपसमध, पिनिगसमध, परिनिगसमध, ° रिनिपगसमध, निरिपगसमध, पनिरिगसमध, निपरिगसमध, गपनिरिसमध, पगनिरिसमध, गनिपरिसमध, निगपरिसमध, पनिगरिसमध, निपगरिसमध, सरिमपनिगध, रिसमपनिगध, समरिपनिगध, मसरिपनिगध, रिमपनिगध, मरिसपनिगध, सरिपमनिगध, रिसपमनिगध, सपरिमनिगध, पसरिमनिगध, ° रिपसमनिगध, परिसमनिगध, समपरिनिगध, मसपरिनिगध, सपमरिनिगध, पसमरिनिगध, मपसरिनिगध, पमसरिनिगध, रिमपनिगध, मरिसनिगध, 100 रिपमसनिगध, परिमसनिगध, मपरिसनिगध, पमरिसनिगध, सरिमनिपराध, रिसमनिपगध, समरिनिपगध, मसरिनिपराध, रिमसनिपगध, मरिसनिपगध, ° सरिनिमपराध, रिसनिमपगध, सनिरिमपराध, निसरिमपराध, रिनिसमपराध, निरिसमपराध, समनिरिपराध, मसनिरिपराध, सनिमरिपगध, निसमरिपराध, 2° मनिसरिपगध, निमसरिपराध, रिमनिसपगध, मरिनिसपगध, रिनिमसपराध, निग्मिसपराध, मनिरिसपराध, निमरिसपराध, सग्पिनिमगध, ग्सिपनिमगध, " सपरिनिमगध, पसरिनिमगध, रिपस निमगध, 70 90 10 20 80 Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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