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________________ ३५६ संगीतरत्नाकरः [षा० (७) ६४२निपगमधरि, मपनिगधरि, पमनिगधरि, मनिपगधरि, निमपगधरि, पनिमगधरि, निपमगधरि, गमधनिपरि, मगधनिपरि, गधमनिपरि, धगमनिपरि, मधगनिपरि, धमगनिपरि, गमनिधपरि, मगनिधपरि, गनिमधपरि, निगमधपरि, मनिगधपरि, निमगधपरि, गधनिमपरि, धगनिमपरि, गनिधमपरि, निगधमपरि, धनिगमपरि, निधगमपरि, मधनिगपरि, धमनिगपरि, मनिधगपरि, निमधगपरि, धनिमगपरि, निधमगपरि, गपधनिमरि, पगधनिमरि, गधपनिमरि, धगपनिमरि, पधगनिमरि, धपगनिमरि, गपनिधमरि, पगनिधमरि, गनिपधमरि, निगपधमरि, पनिगधमरि, निपगधमरि, गधनिपमरि, धगनिपमरि, गनिधपमरि. निगधपमरि. धनिगपमरि, निधगपमरि,° पधनिगमरि, धपनिगमरि, पनिधगमरि, निपधगमरि, धनिपगमरि, निधपगमरि, मपधनिगरि, पमधनिगरि, मधपनिगरि, धमपनिगरि,100 पधमनिगरि, धपमनिगरि, मपनिधगरि, पमनिधगरि, मनिपधगरि, निमपधगरि, पनिमधगरि, निपमधगरि, मधनिपगरि, धमनिपगरि,1° मनिधपगरि, निमधपगरि, धनिमपगरि, निधमपगरि, पधनिमगरि, धपनिमगरि, पनिधमगरि, निपधमगरि, धनिपमगरि, निधपमगरि.२० ___ संपूर्णस्वरप्रस्तार:-सरिगमपधनि, रिसगमपधनि, सगरिमपधनि, गसरिमपधनि, रिगसमपनि, गरिसमपधनि, सरिमगपधनि, रिसमगपधनि, समरिगपधनि, मसरिगपधनि,° रिमसगपधनि, मरिसगपधनि, सगमरिपधनि, गसमरिपधनि, समगरिपधनि, मसगरिपधनि, गमसरिपधनि, मगसरिपधनि, रिगमसपधनि, गरिमसपधनि,२° रिमगसपधनि, मरिगसपधनि, गमरिसपधनि, मगरिसपधनि, सरिगपमधनि, रिसगपमधनि, सगरिपमधनि, गसरिपमधनि, रिगसपमधनि, गरिसपमधनि,° सरिपगमधनि, रिसपगमधनि, सपरिगमधनि, पसरिंगमधनि, रिपसगमधनि, परिसगमधनि, सगपरिमधनि, गसपरिमधनि, सपगरिमधनि, पसगरिमधनि,° गपसरिमधनि, पगसरिमधनि, रिगपसमधनि, गरिपसमधनि, रिपगसमधनि, परिगसमधनि, गपरिसमधनि, पगरिसमधनि, सरिमपगधनि, रिसमपगधनि,° समरिपगधनि, मसरिपगधनि, रिमसपगधनि, Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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