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________________ 11111111111 ३५२ संगीतरत्नाकरः [षा० (७) १०२पमगधरिनि, गमधपरिनि, मगधपरिनि, गधमपरिनि, धगमपरिनि, मधगपरिनि, धमगपरिनि, गपधमरिनि, पगधमरिनि,1° गधपमरिनि, धगपमरिनि, पधगमरिनि, धपगमरिनि, मपधगरिनि, पमधगरिनि, मधपगरिनि, धमपगरिनि, पधमगरिनि, धपमगरिनि, रिगमपनिध, गरिमपनिध, रिमगपनिध, मरिगपनिध, गमरिपनिध, मगरिपनिध, रिगपमनिध, गरिपमनिध, रिपगमनिध, परिगमनिध,° गपरिमनिध, पगरिमनिध, रिमपगनिध, मरिपगनिध, रिपमगनिध, परिमगनिध, मपरिगनिध, पमरिगनिध, गमपरिनिध, मगपरिनिध, गपमरिनिध, पगमरिनिध, मपगरिनिध, पमगरिनिध, रिमगनिपध, मरिगनिपध, रिगमनिपध, मरिगनिपध, गमरिनिपध, मगरिनिपध, रिगनिमपध, गरिनिमपध, रिनिगमपध, निरिगमपध, गनिरिमपध, निगरिमपध, रिमनिगपध, मरिनिगपध, रिनिमगपध, निरिमगपध, मनिरिगपध, निमरिगपध, गमनिरिपध, मगनिरिपध, गनिमरिपध, निगमरिपध, मनिगरिपध, निमगरिपध, रिगपनिमध, गरिपनिमध, रिपगनिमध, परिगनिमध, गपरिनिमध, पगरिनिमध, रिगनिपमध, गरिनिपमध, रिनिगपमध, निरिगपमध, गनिरिपमध, निगरिपमध, रिपनिगमध, परिनिगमध, रिनिपगमध, निरिपगमध, पनिरिगमध, निपरिगमध, गपनिरिमध, पगनिरिमध, गनिपरिमध, निगपरिमध,°° पनिगरिमध, निपगरिमध, रिमपनिगध, मरिपनिगध, रिपमनिगध, परिमनिगध, मपरिनिगध, पमरिनिगध, रिमनिपगध, मरिनिपगध,२०० रिनिमपगध, निरिमपगध, मनिरिपगध, निमरिपगध, रिपनिमगध, परिनिमगध, रिनिपमगध, निरिपमगध, पनिरिमगध, निपरिमगध,10 मपनिरिगध, पमनिरिगध, मनिपरिगध, निमपरिगध, पनिमरिगध, निपमरिंगध, गमपनिरिध, मगपनिरिध, गपमनिरिध, पगमनिरिध,२० मपगनिरिध, पमगनिरिध, गमनिपरिध, मगनिपरिध, गनिमपरिध, निगमपरिध, मनिगपरिध, निमगपरिध, गपनिमरिध, पगनिमरिध, गनिपमरिध, निगपमरिध, पनिगमरिध, निपगमरिध, मपनिगरिध, पमनिगरिध, Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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