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________________ ३४० संगीतरत्नाकरः [षा० (४) ६४२ - 70 90 निपरिगधस, गपनिरिधस, पगनिरिधस, गनिपरिधस, निगपरिधस, पनिगरिधस, निपगरिधस, रिगधनिपस, गरिधनिपस, रिधगनिपस, धरिगनिपस, गधरिनिपस, धगरिनिपस, रिगनिधपस, गरिनिधपस, रिनिगधपस, निरिगधपस, गनिरिधपस, निगरिधपस,०० रिधनिगप धरिनिगपस, रिनिधगपस, निरिधगपस, धनिरिंगपस, निधरिगपस, गधनिरिपस, धगनिरिपस, गनिधरिपस, निगधरिपस, 2 धनिगरिपस, निधगरिपस, रिपधनिगस, परिधनिगस, रिधपनिगस, धरिपनिगस, पृधरिनिगस, धपरिनिगस, रिपनिधगस, परिनिधगस, रिनिपधगस, निरिपधगस, पनिरिधगस, निपरिधगस, रिधनिपगस, धरिनिपगस, रिनिधपगस, निरिधपगस, धनिरिपगस, निधरिपगस, ' पधनिरिंगस, धपनिरिंगस, पनिधरिगस, निपधरिगस, धनिपरिगस, निधपरिगस, गपधनिरिस, पगधनिरिस, गधपनिरिस, धगपनिरिस,०० पधगनिरिस, धपगनिरिस, गपनिधरिस, पगनिधरिस, गनिपधरिस, निगपधरिस, पनिगधरिस, निपगधरिस, गधनिपरिस, धगनिपरिस, निधपरिस निगधपरिस, धनिगपरिस, निधगपरिस, पधनिगरिस, धपनिगरिस, पनिधगरिस, निपधगरिस, धनिपगरिस, निधपगरिस. 720 (५) सरिमपधनि, रिसमपधनि, समरिपधनि, मसरिपधनि, रिमसपधनि, मरिसपधनि, सरिपमधनि, रिसपमधनि, सपरिमधनि, पसरिमधनि, ' रिपसमधनि, परिसमधनि, समपरिधनि, मसपरिधनि, सपमरिधनि, पसमरिधनि, मपसरिधनि, पमसरिधनि, रिमपसधनि, मरिपसधनि, रिपमधनि, परिमसधनि, मपरिसधनि, पमरिसधनि, सरिमधपनि, रिसमधपनि, समरिधपनि, मसरिधपनि, रिमसधपनि, रिसधमपनि, सधरिमपनि, धस रिमपनि, समधरिपनि, मसधरिपनि, सधमरिपनि, धमस रिपनि, रिमधसपनि, मरिधसपनि, मधरिस पनि, धमरिसपनि, सरिपधमनि, 50 सपरिधमनि, पसरिधमनि, रिपसधमनि, परिसधमनि, सरिधपमनि, रिसधपमनि, 10 मरिसधपनि, 30 सरिधमपनि, रिधसमपनि, धरिसमपनि, धसमरिपनि, सरपनि, रिधमसपनि, धरिमसपनि, रिसपधमनि, ' 50 80 10 20 40 Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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