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________________ ३३८ संगीतरत्नाकरः [षा० (४) ३७२ 400 10 20 धरिसपनिग, सपधरिनिग, पसधरिनिग, सधपरिनिग, धसपरिनिग, पधसरिनिग, धपसरिनिग, रिपधसनिग, परिधसनिग, १० रिधपस निग, धरिपसनिग, पथरिसनिग, धपरिसनिग, सरिपनिधग, रिसपनिधग, सपरिनिधग, पसरिनिधग, रिपसनिधग, परिसनिधग, सरिनिपधग, रिसनिपधग, सनिरिपधग, निसरिपधग, रिनिसपधग, निरिसपधग, सपनि रिधग, पसनिरिधग, सनिपरिधग, निसपरिधग, 1 पनि सरिधग, निपसरिधग, रिपनिसधग, परिनिसधग, रिनिपसधग, निरिपसधग, पनिरिसधग, निपरिसधग, सरिधनिपग, रिसधनिपग, " सधरिनिपग, धसरिनिपग, रिधसनिपग, धरिसनिपग, सरिनिधपग, रिसनिधपग, सनिरिधपग, निसरिधपग, रिनिसधपग, निरिसधपग, 2 सधनिरिपग, धसनिरिपग, सनिधरिपग, निसधरिपग, धनिसरिपग, निधस रिपग, रिधनिसपग, धरिनिसपग, रिनिधसपग, निरिधसपग, धनिरिसपग, निधरिसपग, सपधनिरिंग, पसधनिरिंग, सधपनिरिंग, धसपनिरिंग, पधसनिरिंग, धपसनिरिंग, सपनिधरिंग, पसनिधरिंग, 1° सनपरिग निपधरिंग, पनिसधरिंग, निपसधरिंग, सधनिपरिंग, धस निपरिंग, सनिधपरिंग, निसधपरिंग, धनिसपरिंग, निधसपरिंग, पधनिसरिंग, धपनिस रिंग, पनिधसरिंग, निपधसरिंग, धनिपस रिंग, निधपसरिग, रिपधनिसग परिधनिसग, रिधपनिसग, धरिपनिसग, परिनिसग, धपरिनिसग, रिपनिधसग, परिनिधसग, रिनिपधसग, निरिपधसग, पनिरिधसग, निपरिधसग, रिधनिपसग, धरिनिपसग, 70 रिनिधपसग, निरिधपसग, धनिरिपसग, निधरिपसग, पधनिरिसग, धपनिरिसग, पनिधरिसंग, निपधरिसग, धनिपरिसग, निधपरिसग, 80 सगपधनिरि गसपधनिरि, सपगधनिरि, पसगधनिरि, गपसधनिरि, पगसधनिरि, सगधपनिरि, गसधपनिरि, सधगपनिरि, धसगपनिरि, ' पनिर, धगसपनिरि, सपधगनिरि, पसधगनिरि, सधपगनिरि, धसपगनिरि, पथसगनिरि, धपमगनिरि, गपधसनिरि, पगधसनिरि, गधपस निरि धगपस निरि, पधगस निरि, धपगसनिरि, सगपनिधरि, गसपनिधरि, 60 90 90 80 50 500 Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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