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________________ (४) १०१) अनुबन्धः ३३५ रिनिधमगस, निरिधमगस, धनिरिमगस, निधरिमगस,° मधनिरिगस, धमनिरिगस, मनिधरिगस, निमधरिगस, धनिमरिगस, निधमरिगस, गमधनिरिस, मगधनिरिस, गधमनिरिस, धगमनिरिस,100 मधगनिरिस, धमगनिरिस, गमनिधरिस, मगनिधरिस, गनिमधरिस, निगमधरिस, मनिगधरिस, निमगधरिस, गनिमरिस, धगनिमरिस, गनिधमरिस, निगधमरिस, धनिगमरिस, निधगमरिस, मधनिगरिस, धमनिगरिस, मनिधगरिस, निमधगरिस, धनिमगरिस, निधमगरिस.२० (४) सरिगपधनि, रिसगपधनि, सगरिपधनि, गसरिपधनि, रिगसपधनि, गरिसपधनि, सरिपगधनि, रिसपगधनि, सपरिगधनि, पसरिंगधनि, रिपसगधनि, परिसगधनि, सगपरिधनि, गसपरिधनि, सपगरिधनि, पसगरिधनि, गपसरिधनि, पगसरिधनि, रिगपसधनि, गरिपसधनि, रिपगसधनि, परिगसधनि, गपरिसधनि, पगरिसधनि, सरिंगधपनि, रिसगधपनि, सगरिधपनि, गसरिधपनि, रिगसधपनि, गरिसधपनि, सरिधगपनि, रिसधगपनि, सधरिगपनि, धसरिंगपनि, रिधसगपनि, धरिसगपनि, सगधरिपनि, गसधरिपनि, सधगरिपनि, धसगरिपनि, गधसरिपनि, धगसरिपनि, रिंगधसपनि, गरिधसपनि, रिधगसपनि, धरिगसपनि, गधरिसपनि, धगरिसपनि, सरिपधगनि, रिसपधगनि, सपरिधगनि, पसरिधगनि, रिपसधगनि, परिसधगनि, सरिधपगनि, रिसधपगनि, सधरिपगनि, धसरिपगनि, रिधसपगनि, धरिसपगनि,° सपरिगनि, पसधरिगनि, सधपरिगनि, धसपरिगनि, पधसरिगनि, धपसरिगनि, रिपधसगनि, परिधसगनि, रिधपसगनि, धरिपसगनि,' परिसगनि, धपरिसगनि, सगपरिनि, गसपरिनि, सपगधरिनि, पसगधरिनि, गपसधरिनि, पगसधरिनि, सगधपरिनि, गसधपरिनि, सधगपरिनि, धसगपरिनि, गधसपरिनि, धगसपरिनि, सपधगरिनि, पसधगरिनि, सधपगरिनि, धसपगरिनि, पधसगरिनि, धपसगरिनि,° गपधसरिनि, पगधसरिनि, गधपसरिनि, धगपसरिनि, पधगसरिनि, धपगसरिनि, रिगपधसनि, गरिपधसनि, रिपगधसनि, परिगधसनि,100 गपरिधसनि, Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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