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________________ (२) ४६१] अनुबन्धः ३२७ 90 सनिपगरिम, निसपगरिम, पनिसगरिम, निपसगरिम, 30 गपनिसरिम, पगनिसरिम, गनिपसरिम, निगपसरिम, पनिगसरिम निपगसरिम, रिंगपनिसम, गग्पिनिसम, रिपगनिसम, पग्गिनिसम, गरिनिसम, पगरिनिसम, रिगनिपसम, गरिनिपसम, रिनिगपसम, निग्गिपसम, गनिपिसम, निगम्पिसम, रिपनिगसम, परिनिगसम, " रिनिपगसम, निरिपगसम, पनिरिंगसम, निपरिगसम, गपनिरिसम, पगनिरिसम, गनिपरिसम, निगपरिसम, पनिगरिसम, निपगरिसम, सरिमपनिग, रिसमपनिग, समपिनिग, मसग्पिनिग, रिमसपनिग, मरिसपनिग, सरिम निग, रिसपम निग, सपरिमनिग, पसरिमनिग, ' 10 रिपसमनिग परिसमनिग, समपरिनिग, मसपरिनिंग, सपमरिनिग, पसमरिनिग, मपसरिनिग, पमसरिनिग, रिमपसनिग, मरिपसनिग, रिपमसनिग, परिमस निग, मपरिसनिग, पमरिसनिग, सरिमनिपग, रिसमनिपग, समरिनिपग, मसरिनिपग, रिमसनिपग, मरिसनिपग, ' सरिनिमपग, रिसनिमपग, सनिरिमपग, निसरिमपग, रिनिसमपग, निरिसमपग, समनिपिग, मसनिरिपग, सनिमरिपग, निसमरिपग, मनिसरिपग, निमस रिपग, रिमनिसपग, मरिनिसपग, रिनिमसपग, निरिमसपग, मनिरिसपग, निमरिसपग, सरिपनिमग, रिसपनिमग, 10 सपरिनिमग, पसरिनिमग, रिपस निमग, परिसनिमग, सरिनिपमग, रिसनिपमग, सनिरिपमग, निसरिपमग, रिनिसपमग, निरिसपमग, सपनिरिमग, पसनिग्मिग, सनिपरिमग, निसपरिमग, पनिसरिमग, निपसरिमग, रिपनि समग, परिनिसमग, रिनिपसमग, निरिपसमग, पनिरिसमग, निपरिसमग, समपनिरिंग, मसपनिरिंग, सपमनिरिंग, पसमनिरिंग, मपस निरिंग, पमस निरिंग, समनिपरिंग, मसनिपरिंग, 10 निमपरिंग, निसमपरिंग, मनिसपरिंग, निमसपरिंग, सपनिमरिंग, पसनिमरिंग, सनिपमरिंग, निसपमरिंग, पनिसमरिंग, निपसमरिंग, 50 मपनिसरिंग, पमनिसरिंग, मनिपसरिंग, निमपसरिंग, पनिमसरिंग, निपमसरिंग, रिमपनिसग, मरिपनिसग, रिपमनिसग, परिमनिसग, १० परिनिसग, 40 80 400 20 80 Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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