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________________ ३०८ संगीतरत्नाकरः [औ० (५) ७८-- पगस निरि, सगनिपरि, गसनिपरि, सनिगपरि, निसगपरि, गनिसपरि, निगसपरि, सपनिगरि, पसनिगरि, सनिपगरि, निसपगरि, पनिसगरि, निपसगरि,°° गपनिसरि, पगनिसरि, गनिपसरि, निगपसरि, पनिगसरि, निपगसरि, रिगपनिस, गरिपनिस, रिपगनिस, परिगनिस,100 गपरिनिस, पगरिनिस, रिगनिपस, गरिनिपस, रिनिगपस, निरिंगपस, गनिरिपस, निगरिपस, रिपनिगस, परिनिगस, रिनिपगस, निरिपगस, पनिरिगस, निपरिगस, गपनिरिस, पगनिरिस, गनिपरिस, निगपरिस, पनिगरिस, निपगरिस.२० (६) सरिगधनि, रिसगधनि, सगरिधनि, गसरिधनि, रिगसधनि, गरिसधनि, सरिधगनि, रिसधगनि, सधरिगनि, धसरिगनि, रिधसगनि, धरिसगनि, सगधरिनि, गसधरिनि, सधगरिनि, धसगरिनि, गधसरिनि, धगसरिनि, रिगधसनि, गरिधसनि, रिधगसनि, धरिगसनि, गधरिसनि, धगरिसनि, सरिगनिध, रिसगनिध, सगरिनिध, गसरिनिध, रिगसनिध, गरिसनिध, ° सरिनिगध, रिसनिगध, सनिरिगध, निसरिगध, रिनिसगध, निरिसगध, सगनिरिध, गसनिरिध, सनिगरिध, निसगरिध, गनिसरिध, निगसरिध, रिगनिसध, गरिनिसध, रिनिगसध, निरिगसध, गनिरिसध, निगरिसध, सरिधनिग, रिसधनिग,°° सधरिनिग, धसरिनिग, रिधसनिग, धरिसनिग, सरिनिधग, रिसनिधग, सनिरिधग, निसरिधग, रिनिसधग, निरिसधग,०° सधनिरिग, धसनिरिग, सनिधरिंग, निसधरिंग, धनिसरिंग, निधसरिंग, रिधनिसग, धरिनिसग, रिनिधसग, निरिधसग, धनिरिसग, निधरिसग, सगधनिरि, गसधनिरि, सधगनिरि, धसगनिरि, गधसनिरि, धगसनिरि, सगनिधरि, गसनिधरि,° सनिगधरि, निसगरि, गनिसधरि, निगसधरि, सधनिगरि, धसनिगरि, सनिधगरि, निसधगरि, धनिसगरि, निधसगरि,° गधनिसरि, धगनिसरि, गनिधसरि, निगधसरि, धनिगसरि, निधगसरि, रिंगधनिस, गरिधनिस, रिधगनिस, धरिगनिस'०० गधरिनिस, धगरिनिस, रिगनिधस, गरिनिधस, रिनिगधस, निरिगधस, गनिरिधस, निगरिधस, रिधनिगस, धरिनिगस,' रिनिधगस, निरिधगस, धनिरिगस, निधरिगस, गधनिरिस, धगनिरिस, गनिधरिस, निगधरिस, Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034227
Book TitleSangit Ratnakar Part 01 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1943
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size220 MB
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