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प्रश्नः - १४ - जिस जीव ने संसार परिभ्रमण करते हुए चार बार श्राहारक शरीर प्राप्त कर लिया, वह जीव उसी भव में मोक्ष जाता है या नरकादि श्रन्यगति में भी जाता है ?
उत्तरः- चार बार आहारक शरीर प्राप्त करने वाला जीव उसी भव में मोक्ष जाता है, दूसरी गति में नहीं जाता इस सम्बन्ध में प्रज्ञापनावृत्ति के छत्तीसवें समुद्घात पद में कहा है
"चतुः कृत्वः आहारक शरीरस्य नरक गमनाभावादिति । " जिसने चार बार श्राहारक शरीर प्राप्त कर लिया वह नरक में जाता ही नहीं है ।
इसके बाद दूसरी गति में गये बिना ग्राहारक समुद्घात के बिना अवश्य ही मोक्ष में जाता है ।
इस प्रकार चार बार प्राहारक शरीर वाला जीव उसी भव में मोक्ष को प्राप्त होता है ।
प्रश्नः - १५ - कोई चारित्रवती स्त्री पंचानुत्तर विमान में जाती है या नहीं ?
उत्तर :- उस प्रकार के श्रध्यवसायों का सद्भाव होने से संयमवती ( चारित्रवती ) स्त्री पंचानुत्तर विमान में जाती है ।
प्रज्ञापना वृत्ति में कर्म प्रकृति नामक २३ वें पद के अन्त में कहा है
" मानुषी तु सप्तम नरक पृथ्वी योग्यमायुर्न बध्नाति, अनुत्तर सुरायुस्तु बध्नाति ।"
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