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(च) श्लोक-निष्पन्न मानन्दमयैर्जिनाद्यः समाग्रिमैः शुद्ध पदैरवक्रम् ।
ह्रींकार दीप्रंश्रित सर्वशक्र श्री सिद्धचक्र शरण ममास्तु । दोहा-सय अठार तेपन समै, वदि वैशाख सुमास ।
बुधवार संपूरन रच्यौं, बीकानेर सुवास ।।१। आर्या उत्तम धर्म रुचि, पुत्री सम सुविनीत । नाम खुस्याल श्री निमित्त, यह की नौं धरि चीत ।।२।। भणसाली संघजी वधू, मोतू नाम उदार ।
ताको पुन अाग्रह भयौ, जैसलमेर मझार ।।३।।
इति वाचक क्षमा कल्याण गणि कृत संक्षिप्त भाषामय प्रश्नोत्तर सार्धशतकम् ।
लेखकपाठकयो ।। श्रीरस्तु श्री ।। (पत्र १६. महिमा भक्ति भण्डार बन्डल नं० ५७ प्रति नं० १०१० से उपरोक्त विवरण दिया गया है )
इस ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करना प्रार्यारत्न श्री विचक्षण श्री जी को आवश्यक प्रतीत हुआ और हिन्दी अनुवाद उन्हीं के प्रयत्न से प्रकाशित हो रहा है। आशा है जिज्ञासुत्रों को इससे काफी लाभ होगा। पूज्या साध्वी जी और प्रकाशन सहायक ब्यक्तियों का यह प्रयत्न बहुत ही उपयोगी और सराहनीय है। बीकानेर २२-१०-६५
अगरचन्द नाहटा
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