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१८६८ वैशाख वदि १४, जोधपुर गोडा दुखने का पत्र , १८६६ जेठ वदि ३, देसणोक , १८६६ पो वदि ८, बीकानेर ,, १८६६ माघ दि ८, देसणोक,
१८६६ मिगसर वदि १०, बीकानेर,
१८७० श्रावण सुदि ११, बीकानेर, ,, १८७० फागण सुदि १०, देसणोक
१८७० वैशाख सुदी ८, अजमेर,
१८७० भादवा सुदि ७, बीकानेर , १८७१ माघ सुदि ७, बीकानेर , १८७१ भादवा वदि, २, बीकानेर , १८७१ मिगसर वदि ८, बाकानेर
१८७२ भादवा वदि १२, बीकानेर
१८७२ मिगसर वदि १४, बीकानेर ॥ १८७३ मि० व०८, बीकानेर ,, १८७३ जेठ वदि २, , १८७३ प्रा० वदि १४,
बाचक पद प्राप्ति:
सम्वत् १८५५. में गच्छनायक जिन चन्द सूरिजी ने आपको अपने निकट बुलाकर 'वाचक' पद प्रदान किया था।
उपाध्याय पद प्राप्ति
जिनचन्द सूरिजो का सम्वत् १८५६ में स्वर्गवास होने के अनन्तर श्री जिनहर्ष सूरि उनके पद पर स्थापित किये गये। उन्होंने गच्छ में आपको योग्यता सविशेष देख (सम्वत् १८५८
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