________________
AH
चर.
॥३१॥
ani
तोडयं छे स्नहरुप बंधन ते जेमणे, निर्विकारी स्थानमा रहेनार, निर्विकार सुखना कामी, सत्पुरुषोना मनने आनंद करनार अने आत्मामां रमनार मुनिओ मने शरण हो. ॥ ३६ ॥
मिहिन विसय कसाया, ननिय घर घरणि संग सुहसाया ।
अकलिभ इरिस विसाया, साह सरणं गय पमाया ॥ ३७॥ दर कर्यो छे विषय अने कपाय ते जेमणे, त्याग कयों छे घर अने स्वीना संगना मुखनो स्वाद जेमणे, बळी नथी हर्ष अने नथी शोक ते जेमने एवा अने गयो छे प्रमाद जेमनो एवा साधुओ मने शरण हो.।३७॥
हिंसाइ दोस सुन्ना, कय कारुनो सयंनुरूपन्ना ॥
अजरामर पह खुन्ना, साहु सरणं सुकय पुन्ना ॥ ३० ॥ हिंसादिक दोपे करीने रहित, कर्यो छे करुणा भाव ते जेमणे, एवा स्वयंभु रमण समुद्र जेवी विस्तीर्ण बुद्धिवाला, जरा अने मरण रहित मोल मार्गमा जनारा, अने अतिशे पुन्य कयु डे जेमणे एवा साधु मने | सरण हो ।। ३८ ॥
काम विझबण चुक्का, कलिमल मुक्का विमुक्तक चोरिक्का ॥
पावरय सुरय रिक्का, साहु गुण रयण चिचिक्का ॥ ३ ॥ झामनी विडंबनाए करीने रहित, पापे करीने रहिन. वळी चोरी जेमणे त्याग करी छे एवा. पापरुप
SCHED5:55ses2015NTEST
Maitrees aai a