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आउर पच्चख्खाणं पयन्नो.
सिक्क देस विरसम्मदिधी मरिका जो जीवो ॥ तं दो बाल पंयि ॥ मरणं जिस सासणे नलियं ॥ १ ॥
छकायनी हिंसामांची देश जे त्रस हिंसा तेनो एक देश जे मारवानी बुद्धिए निरअपराधी जीवनी निरपेक्षपणे हिंसा तेथी तथा जू बोलवादिकथी निर्वृत्ति पाम्यो छतो जे समकित दृष्टि जीव मरे ते जिनशासनने विषे पांच मरणमांतु बाळ पंडित मरण कहेलं छे ॥ १ ॥
पंचय अणुच्वयाई ॥ सत्तन सिस्कान देस जइ धम्मो ॥ सर्व्वण व देसेण व ॥ तेा जुन दोइ देस जइ ॥ २ ॥
जिनशासनमां सर्व विरती अने देशविरती ए वे प्रकारों यतिधर्म छे, तेमां देशविरती ने पांच अनुव्रतो अने सात शिक्षावतो मळी श्रावकनां बार व्रत कहां छे, ते सर्व बताए अथवा एक बे आदि व्रतरुप तेना देशे करीने जीव देशविरती होय ॥ २ ॥ :
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