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नूं जूं करे मुख तोय ॥२॥श्राचंच्या सुर सामटा, श्राव्या जोवा काज ॥ विपरीत रूपने देखीने, खम खम हसत समाज ॥३॥ तव ब्रह्मा कोपे चढ्यो, सुर उपर कीधी केम॥ नाग जाए घर जणी, तोहि नाव्यो नीवेम ॥४॥ जूजूंकार करतो थको, धायो केमे जाय ॥ कोलाहल वर्गमें थयो, अचरिज सहुने थाय ॥ ५॥ के खाशे के मारशे, त्रिजुवनमां पड्यो त्रास ॥ जय पाम्या तापस सहु, तप जप मूकी तास ॥ ६॥ नाग | लोक बहु ध्रुजता, केश पामे पोकार ॥ सुर नर किंनर थागले, थावे करतां मार मार | ॥७॥ ईश्वर शरणे श्रावीया, कहे मुज राखो हेव ॥ब्रह्मा संतापे ने घj, उःख नांजो| अम देव ॥ ७ ॥ रुष नाव रुखे कों, खुंजु मस्तक खर नख ॥ पीडा उपनी ब्रह्मा घ-14
णी, बोले मुखथी अशन ॥ ए॥ हत हत्यारा पापीया, तुजने लुमो देव ॥ मस्त क मानाहीं तोमीयुं, हत्या चड तुज हेव ॥ १० ॥
ढाल अगीयारमी. साहेबा मोती द्यो हमारो, मोहना मोती द्यो-ए देशी. मुज कपाल चमो तुज हाथ, जेम न करे एहवो किहां साथ ॥मानो तुमे वयण हमारो, सही करी मन मांही धारो ॥ ए श्रांकणी ॥ श्रापे ईश्वर थयो तव कालो, महादेव