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| देशुं शिक्षा सवार लालरे ॥ याज पढी जेम एहवुं न कहे कुरूं केवार लालरे ॥ सा० ॥ ५ ॥ अरुणोदय देखी हवे, कुकडे कीधो सोर लालरे ॥ श्राव्यो मंदिर आपणे, राजा मंत्री चोर लालरे ॥ सा० ॥ १० ॥ परजाते परिवारशुं, परवरीयो भूपाल लालरे ॥ अर्हदासने घर यावीयो, शेठ रतन जरी थाल लालरे ॥ सा० ॥ ११ ॥ श्रगल मूकी नेटएं, कर जोमी पाये लाग लालरे ॥ उनो एम विनति करे, माहरो मोटो जाग लालरे ॥ सा० ॥ १२ ॥ जंगम तीरथ माहरे, घर आव्या महाराज लालरे ॥ प्रसन्न य प्रभु जाखीए, मुज सरिखुं जे काज लालरे ॥ सा० ॥ १३ ॥ श्रवनिपति कहे धर्मनी, कथा कही तुमे रात लालरे || निंदी नारी जेपीए, दाखवो ते मुज जात लालरे ॥ सा० ॥ १४ ॥ निग्रह करशुं तेनो, सुणी शेठ कांखो थाय लालरे ॥ शुं नूप पोते श्रावीयो, के दुर्जने कयुं जाय लालरे ॥ सा० ॥ १५ ॥ सत्ये नृप दंग पामीए, सा|चे नारी नाश लालरे ॥ एम त्यां जन कहेवे सदु, अईदास रह्यो विमास लालरे ॥ सा० ॥ १६ ॥ कुंदलता निसुणी एशुं, यावी नृपने पास लालरे ॥ दुष्ट नारी ते हुं अनुं, पण सुणजो अरदास लालरे ॥ सा० ॥ १७ ॥ धणी शोकने आवीयो, परियागत जिनधर्म लालरे ॥ पितर न जाणे माहरा, श्रीजिनशासन मर्म लालरे ॥ सा० ॥ १८ ॥