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गर्मपरी
||जाइ नाखे तेथरे, सह श्रावो एथ कंकण बांधी थावीरे ॥ कीधो परपंचरे, दुवो रोमंचरे, जुर्ड मुज संच सोमा घर लावीरे ॥ १४ ॥ करे कै तव प्रशंसारे,
कर जोमी नमस्यारे, न करे को खींसा ते सुख जोगवेरे ॥ पूरे मन श्राशरे, नर-16 मानारी आवासरे, सवि विलास रयणी दिन जोगवेरे ॥ १५ ॥ गयो केतो कालरे, वली
तेहज हवालरे, नवि जाये ढाल जेहने जे पमीरे ॥ प्रकृति जासरीररे, विचले नवि कधीररे, पहेली सुणो वीर ढाल खंग आग्मे जमीरे ॥ १६ ॥
उदा. ___ मरजादा पाली नली, दिवस केटला सीम ॥ द्यूतासक्त वली थयो, श्यो कपटीनो)
नीम ॥१॥ सुमित्रा वेश्या सुता, कामलता तसु नाम ॥ तेहगुं विलसे रातदिन, तजी | कापणी वाम ॥२॥सोमा मनमा मुख धरे, नयणे मूके नीर ॥ सुणी वात शेठे सहु,
दे पुत्रीने धीर ॥३॥ बेटी पुःख कीजे नहीं, दीजे कर्मने दोष ॥ सुख कुःख सरज्यां alपामीए, श्यो कीजे हवे शोष ॥४॥ आशा तजी जरतारनी, धरी बेठी धर्म ध्यान ॥१४॥
॥ श्ह नव परजव जेहथी, सुख पामशे निरवाण ॥५॥ मानी वात पिता तणी, एक प्रासाद कराव ॥ प्रतिमा श्री शांतिनाथनी, थापी मनने नाव ॥ ६ ॥ प्रतिष्ठा कीधी