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मपरी
MAMAN
तव त्रीजो मूरख कहेरे, तुमे सहु सांजलो आज ॥ साजन सांजलोरे ॥ मुजखम ४ मूरखपणुं वरणQरे, जेम सरशे मुज काज ॥ सा ॥१॥ एक दिवस नारी अमेरे, मलीयां एकण सेज ॥ सा ॥ होड पामी मौने रह्यारे, एम बोली बेहु देज ॥ सा॥ ॥२॥ जे. हारे ते होडे दीएरे, घृत खांम नरी दश पोली ॥ सा ॥ साकर साथे मिश्र करीरे, सुगंध घृतमा ऊबोली ॥ सा ॥३॥ एम परठी मौन रह्यारे, नर नारी बेहु चंग ॥ सा ॥ तेहवे तस्कर आवीयारे, धन हरवा उत्तंग ॥ सा ॥४॥खात्र देश घरमां गयोरे, वित्त काढ्यु अपार ॥ सा ॥ शाजरण वस्त्र घणां लीयारे, मोती लीयां दीनार ॥ सा ॥ ५॥ तोही श्रमे नवि बोलीयारे, होम हारवा माट ॥सा स्त्री शणगार उतारीनेरे, खेवा लाग्यो तव घाट॥सा०॥ ६ ॥नारी कहे कंत सांजलोरे, चोरे हर्यु अव्य क्रोम ॥ सा ॥ हसी करी में ताली दीधीरे, नारी तुं हारी होम ॥ सा ॥७॥ पोली घृत खांडे नरीरे, मुज थापो तुमे आज ॥ सा ॥ तस्कर वित्त ले गयारे, लोक मांही लागी लाज ॥ सा ॥॥ एवी कथा ने मुज तणीरे, महान् । मूरख मारो नाम ॥ सा ॥ सकल लोक विचारजोरे, धर्म वृझिनो हुँ ठाम ॥ सा ॥ | ए ॥ चोथो नर तव बोलीयोरे, खकीय कथा परसंग ॥ सा० ॥ मुज मूरखपणुं NI