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कथान
अपराजित
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अमारां संस्कृत ग्रन्थलतानां गुच्छको.
(१) श्रीसिद्धहेमलघुवृत्तिः अवचूरि परिष्कार सहित. संस्कृत व्याकरणना रहस्य ज्ञान माटे मूलसूत्रानुसार वृत्तिने सूक्ष्मताथी समजावतो ने सुलभ बोध करावतो परिष्कार लघुवृत्तिना भणावनार अने भणनार उभयने अत्यंत उपयोगी छे. प्रक्रिया क्रम जेवी व्युत्पत्ति करावे छे. सूत्रोमांथी उद्भवता न्यायो उदाहरणो ने प्रत्युदाहरणोनो समन्वय बताववा साथे प्रन्थकारना हार्दने स्पष्ट करतो आ परिष्कार उत्तम मार्गदर्शन आपे छे. आ अपूर्व प्रकाशननुं संस्करण तइन नूतन शैलीमां होबाथी विद्वभोग्य बन्यु छे. सात अध्यायना रुपीया साडा सत्तर भरी प्रथमथी ग्राहक बननारने प्रत्येक पाद छपाशे तेम मोकलवामां आवशे. प्रथम अध्याय तैयार छे. किम्मत अढी रुपीया. पांच, पाद ढूंक समयमा बहार पढशे.
(२) श्री चैत्यवंदनस्तुतिचतुर्विशति । पूज्यपाद कविकुलकिरीट व्याख्यानवाचस्पति आचार्यदेव श्रीमद्विजयलब्धिसूरीश्वरजी महाराज विरचित मा पुस्तकमा श्री ऋषभदेवादि जिनेश्वरोनां चैत्यवंदन भने स्तुतिओ विविध छंदोमा आपवामा भावी . मूल्य: आठ आना
(३) सकलाईत्स्तोत्रं । कलिकालसर्वज्ञश्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरविरचित स्तोत्र श्रीगुणविजयजी विरचित अर्थप्रकाशनामक वृत्तिथी विभूषित. मूल्य छ आना
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Printed by Ramchandra Yesu Shedge, at the “Nirnaya-sagar " Press, 26-28, Kolbhat Street, Bombay.
Published by Shah Umedchand Raichand; Manager-Shree Labdhisurishwar
Jain Granthmala; Gariyadhar. (via Damnagar, Kathiawar ).