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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्देंगे ( स ) सकाररूपा सर्वज्ञा सर्वेशी सर्वमंगला | सर्वकर्त्री सर्वत्र सर्वत्र सनातनी ||२४| सर्वानवद्या सर्वागसुंदरी सर्व माक्षिणो । सर्वात्मिका सर्वमौख्यदात्री सर्वविमोहिनी || २५ || सर्वाधारा सर्वगता सर्वावगुणवर्जिता । सर्वारुणा सर्वमाता सर्वभूषणभूषिता ॥२६॥ (क) ककारार्थी कालहंत्री कामेशी कामितार्थदा । कामसंजीवनी कल्या कठिनस्तनमंडला ॥२७॥ करभोरूः : कलानाथमुखो कचजितांबुदा । कटाक्षस्यदिकरुणा कपालिप्राणनायिका ||२८॥ कारुण्यविग्रहा कांता कांतिधृतजपावलिः । कलालापा कंबुकंठी कनिर्जितपल्लवा ||२९|| कल्पवल्लीसमभुजा कम्तूरी तिलकाञ्चिता । (ह) इकारार्थी हंसगतिटकाभरणोज्ज्वला ॥३०॥ हारहारिकुचाभोगा हाकिनी हल्यवर्जिता । हरित्पतिसमाराध्या हठात्कार हतासुरा ||३१ ॥ हर्षदा हविर्भोक्त्री हार्दसंतमसापहा । इल्लीलास्य संतुष्टा हंसमंत्रार्थरूपिणी ||३२|| हानोपादाननिर्मुक्ता हर्षिणी हरिसुंदरी । हाहाहूहूमुखस्तुत्या हानिवृद्धिविवर्जिता ॥ ३३॥ हैयंगवीनहृदया हरिगोपारुणांशुका । (ल) लकारार्था लतापूज्या लयस्थित्युद्भवेश्वरी ||३४|| लास्यदर्शनमंतुष्टा लाभालाभविवर्जिता । लंध्येतराज्ञा लावण्यशालिनी लघुसिद्धिदा ||३५| लाक्षारससवर्णाभा लक्ष्मणाग्रजपूजिता । लम्येतरा लक्ष्धभक्तिसुलभा लांगलायुधा ॥३६॥ For Private and Personal Use Only
SR No.034160
Book TitleVidyopasna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherHimmatram Yagnik
Publication Year1987
Total Pages141
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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