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मनोवांछित सिद्धिदायक स्तोत्र-स्त्रजं तव जिनेन्द्र गुणैर्-निबद्धां भक्त्या मया विविध-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम् |
धत्ते जनो य इह कण्ठ-गतामजसं तं मानतुंगमवश समुपैति लक्ष्मीः ||48॥
48 स्तोत्र स्रजं तव जिनेन्द्र गुणै र्निबद्धां
ॐहींअर्हणमोसव्वसाहणंॐहींअर्हणमो
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तं मानतुं गमवशा समुपैति लक्ष्मीः।। के
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= भयवदो महदि महावीर वड्ढमाण भक्त्या मया विविध वर्ण विचित्र पुष्पाम्।।
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