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युद्ध में रक्षक और विजय दायक कुंताग्र- भिन्न- गज-शोणित-वारिवाहवेगावतार-तरणातुर-योध-भीमे । युद्धे जयं विजित-दुर्जय-जेय-पक्षास्त्वत्-पाद-पंकज-वना- श्रयिणो लभंते ॥43॥
43 कुन्ताग्र भिन्न गज शोणित वारिवाह
स्त्वत्पाद पंकज वना श्रयिणो लभन्ते ।। शान्तिकारिणी नमः शान्तिकुरुर स्वाहा
ॐ ह्रीं अर्हं णमो महुरसवाणं ॐ नमो चक्रे
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धूं धूं
धू धू
धूं हीं
व धू धू धू धू धू
श्वरी देवी चक्रधारिणी जिन शासन वेगावतार तरणातुर योध भीमे ।
युद्धे जयं विजित दुर्जय जेय पक्षा
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