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जादू-टोना-प्रभाव नाशक किं शर्वरीषु शशिनान्हि विवस्वता वा,
युष्मन्मुखेन्दु-दलितेषु तमःसु नाथ | निष्पन्न-शालि-वन-शालिनी जीव-लोके, कार्य कियज-जलधरैर्जल-भारनमैः ॥19॥
19 कि शर्वरीषु शशिनाहि विवस्वता वा
ॐ हीं अर्ह णमो विज्जाहराणं
马守守守守守守守
ही ही ही ही ही
कार्य कियज् जलधरैर्जल भारननैः ।।
नमः स्वाहा। क्ष क्ष क्ष क्षक्षक्षक्षक्ष
रं रं रंकरं रं रं रं रं.
ॐ हां ही हूं हः य क्ष ही युष्मन्मुखेन्दु दलितेषु तमः सु नाथ। ..
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निष्पन्न शालि वन शालिनि जीव लोके