________________
आठमी बाड़ : ढाल ६ : टिप्पणियां [६] ढाल गा० ३६ :
कुण्डरिक की कथा के लिए देखिए परिशिष्ट-क कथा ३२ ... [७] ढाल गा० ३७-३६ :
इन उपसंहारात्मक गाथाओं में स्वामीजी कहते हैं कि अति आहार के आध्यात्मिक और आधिभौतिक दोप ऊपर बताये जा चुके है। उन र विचार कर ब्रह्मचारी कभी भी अति मात्रा में आहार न करे। मात्रा से कम खाय। इस प्रकार ऊनोदरी करने में बहुत लाभ है। उनोदरो एक कठिन तप है और वह वैराग्य का द्योतक है।
Scanned by CamScanner