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मुसा के पदचिन्हों पर
रब्बाई ज़ूया जीवन के रहस्यों की खोज कर रहा था। उसने निश्चय किया कि वह पैगम्बर मूसा के पदचिन्हों पर चलेगा। कई सालों तक वह पैगम्बर की भांति वेश बनाये घूमता रहा और उन्हीं के जैसा व्यवहार करता रहा। लेकिन उसके भीतर कोई भी परिवर्तन नहीं आया था। उसे किसी भी सत्य के दर्शन नहीं हुए थे।
एक रात बहुत देर तक धर्मग्रन्थ पढ़ते-पढ़ते उसकी नींद लग गयी।
उसके सपने में ईश्वर आए
"तुम इतने दुखी क्यों हो, मेरे पुत्र" - ईश्वर ने पूछा।
"इस धरती पर मेरे कुछ ही दिन शेष रह गए हैं लेकिन मैं अभी तक मूसा की तरह नहीं बन पाया हूँ!" - ज़ूया ने जवाब दिया।
ईश्वर ने कहा- "यदि मुझे दूसरे मूसा की ज़रूरत होती तो मैंने उसे जन्म दिया होता। जब तुम मेरे पास निर्णय के लिए आओगे तो मैं तुमसे यह नहीं पूछूंगा की तुम कितने अच्छे मूसा बने, बल्कि यह कि तुम कितने अच्छे मनुष्य बने मूसा बनना छोड़ो और अच्छे ज़्या बनने का प्रयास करो"
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