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सच्चा चमत्कार
बेन्केइ नामक एक प्रसिद्ध ज़ेन गुरु रयूमों के मन्दिर में ज़ेन की शिक्षा दिया करते थे। शिन्शु मत को मानने वाला एक पंडित बेन्केइ के अनुयायियों की बड़ी संख्या होने के कारण उनसे जलता था और शास्त्रार्थ करके उन्हें नीचा दिखाना चाहता था। शिन्श मत को माननेवाले पंडित बौद्धमंत्रों का तेज़ उच्चारण किया करते थे।
एक दिन बेन्केइ अपने शिष्यों को पढ़ा रहा था जब अचानक शिन्शु पंडित वहां आ गया। उसने आते ही इतने ऊंचे स्वर में मंत्रपाठ शुरू कर दिया कि बेन्केइ को अपना कार्य बीच में रोकना पड़ा। बेन्केड ने उससे पछा वह क्या चाहता है।
शिन्शु पंडित ने कहा - "हमारे गुरु इतने दिव्यशक्तिसम्पन्न थे कि वह नदी के एक तट पर अपने हाथ में ब्रश लेकर खड़े हो जाते थे, दूसरे किनारे पर उनका शिष्य कागज़ लेकर खड़ा हो जाता था, जब वह हवा में ब्रश से चित्र बनाते थे तो चित्र दूसरे किनारे पर कागज़ में अपने-आप बन जाता था। आप क्या कर सकते हैं?"
बेन्केइ ने धीरे से जवाब दिया - "आपके मठ की बिल्लियाँ भी शायद यह कर सकती हों पर यह शुद्ध जेन का आचरण नहीं है। मेरा चमत्कार यह है कि जब मुझे भूख लगती है तब मैं खाना खा लेता हूँ, जब प्यास लगती है तब पानी पी लेता हूँ."