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है। बच्चे के साथ दुकान जितना कम जाऊँगा, गैरज़रूरी सामान पर खर्चा भी उतना ही कम होगा। बच्चे को घर में ही स्वास्थ्यकर चीजें बनाकर देने लगे हैं।
* सामान की लिस्ट बनाना - घर में जब कभी खरीदने के लिए कोई ज़रूरी सामान याद आ जाता है तो उसी समय उसे लिख लेता हूँ। बाज़ार जाता हूँ तो लिस्ट के अनुसार ही खरीददारी करता हूँ। बाज़ार जाने के पहले लिस्ट चेक कर लेता हूँ कि कोई सामान छूट तो नहीं रहा है। इस तरह बार-बार बाज़ार जाना बच जाता है. नतीजतन खर्चा भी कम होता है।
* खर्च को टालने का प्रयास करें - इसके लिए एक ३०-दिवसीय लिस्ट बना शुरू कर दें। जब भी कुछ खरीदने कि इच्छा हो तो यह संकल्प कर लें कि इसे १ महीने बाद ही लेंगे। यदि १ महीने बाद भी उसे खरीदना ज़रूरी लगे तभी उसे खरीदें (पैसा होना भी ज़रूरी है)। लिस्ट में सामान नोट करते रहने से जागरूकता आती है और सामान लेना टाल देने के कारण आपकी आदत पर कुछ लगाम लगती है।
* परिवार के साथ दूसरे तरीकों से समय व्यतीत करें - कई घरों में हफ्ते में एक बार या महीने में दो-तीन बार बाज़ार जाने का रिवाज़ होता है। बाज़ार जाते हैं तो ज़रूरी के साथ-साथ गैरज़रूरी सामान भी ले ही लेते हैं। हर परिवार में कोई-न-कोई तो पैसा-उडाऊ होता ही है। बाज़ार जाने के बजाय कहीं और जाने की आदत डाल लें जैसे पार्क या मन्दिर। अपने जानपहचानवालों के घर भी जा सकते हैं।
____ * किफायत से चलनेवाले को खरीददारी करने दें- अभी भी मेरी आदतन ज्यादा खर्च करने की प्रवृत्ति पर पूरा नियंत्रण नहीं हुआ है। भगवान का शुक्र है कि मेरी पत्नी किफायत से चलती है, इसीलिए मैं खरीददारी के लिए उसे आगे कर देता हूँ। वो मोल-भाव करने में भी एक्सपर्ट है। बंधी मुट्ठी से चलना पैसा बचाता है।
पैसा खर्च करने पर नियंत्रण करने, किफायत से चलने, और पैसा बचाने के दूसरे तरीकों पर आगे और चर्चा करेंगे। तब तक के लिए, पढ़ते रहिये।
यह पोस्ट लियो बबौटा के ब्लॉग जेन हैबिट्स से कुछ हेरफेर के साथ अनूदित की गई है। मूल पोस्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
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