________________
विलिस्टन फिश की वसीयत
१ - सबसे पहले अच्छे माताओं और पिताओं को अपने बच्चों को देने के लिए प्यारेप्यारे निराले नाम और प्रशंसा के मीठे शब्द। माता-पिता उन्हें जिस समय जैसी ज़रूरत हो वैसे प्रयोग में लायें।
२ - यह सिर्फ बच्चों के लिए है वह भी तभी तक जब वे छोटे बच्चे हैं। ये चीजें हैं खेतों और मैदानों में खिले रंगबिरंगे खुशबूदार फूल... बच्चे उनके चारों ओर वैसे ही खेलें जैसे वे खेलना चाहें, बस काँटों से बचें। पीली सपनीली खाडी के परे झील के तट पर बिछी रेत उनकी है... जहाँ लहरों पर टिड्डे सवारी कर रहे हों और हवाओं में सरकंडों की महक घुली हो। बड़ेबड़े पेड़ों पर टिके हुए सन से सफ़ेद बादल भी मैं बच्चों के नाम करता हैं। इसके अलावा सैंकडों-हजारों तरीकों से मौज-मस्ती करने के लिए मैं बच्चों को लंबे-लंबे दिन देता हूँ। रात को वे चाँद और सितारों से मढे हुए आसमान और आकाशगंगा को देखकर स्तब्ध हो जायें - और... (वैसे रात पर प्रेमियों का भी उतना ही हक है) मैं हर बच्चे को यह अधिकार देता हूँ कि वह अपने लिए एक तारा चुन ले। बच्चे के पिता की यह जिम्मेदारी होगी कि वह बच्चे को उस तारे का नाम बताये ताकि बच्चा उसे कभी न भूले, भले ही वह पूरा ज्योतिर्विज्ञान भूल जाए।
३ - थोड़े बड़े लड़कों के लिये - ऐसे बड़े-बड़े मैदान जहाँ वे गेंद से खेल सकें, बर्फ से ढकी चोटियाँ जहाँ चढ़ना मुनासिब हो, झरने और लहरें जिनमें उतरा जा सके, सारे चारागाह जहाँ तितलियों का डेरा हो, ऐसे जंगल जहाँ गिलहरियाँ फदकें और तरह-तरह की चिडियां चहचहाएं, दूरदराज़ की ऐसी जगहें जहाँ जाना मुमकिन हो - ऐसी सभी जगहों में मिलनेवाले रोमांच पर भी लड़कों का हक हो। सर्द रातों में जलती हुई आग के इर्द-गिर्द बैठकर अंगारों में शक्लें ढूँढने का बेरोकटोक काम मैं लड़कों के सुपुर्द करता हूँ।
४ - प्रेमियों के लिये मैं वसीयत करता हूँ उनकी सपनों की दुनिया जहाँ उनकी ज़रूरत की सारी चीजें हों - चाँद-सितारे, लाल सुर्ख गुलाब के फूल जिनपर ओस की बूंदें हों, मादक स्वरलहरियां, और उनके प्रेम और सौन्दर्य की अनश्वरता का अहसास।
५- युवकों के लिये मैं चुनता हूँ बहादुरी, पागलपन, झंझावात, बहस-मुबाहिसे, कमजोरी की अवहेलना और ताक़त का जूनून। हो सकता है कि वे कठोर व अशिष्ट हो जायें... मैं उन्हें इस बात की आज़ादी देता हूँ कि वे ताउम्र की दोस्ती और दीवानगी को निभाएं। उनके लिये मैंने चुने हैं रगों में तूफ़ान भर देनेवाले जोशीले गीत जिन्हें वे सब मिलकर गायें, मौज मनाएँ।
120