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श्रमण सूक्त
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(३४८
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तम्हा एयाण लेसाणं
अणुभागे वियाणिया। अप्पसत्थाओ वज्जित्ता पसत्थाओ अहिद्वेज्जासि।।
(उत्त ३४
६१)
लेश्याओ के अनुभागों को जानकर मुनि अप्रशस्त लेश्याओ का वर्जन करे और प्रशस्त लेश्याओ को स्वीकार करे।
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३५०
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