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श्रमण सूक्त
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अणच्चाविय अवलिय
अणाणुबधि अमोसलि चेव। छप्पुरिमा नव खोडा
पाणीपाणविसोहण।। पडिलेहण कुणतो
मिहोकह कुणइ जणवयकह वा। देइ व पच्चक्खाण
वाएइ सय पडिच्छइ वा।। पुढवीआउक्काए
तेऊवाऊवणस्सइतसाण। पडिलेहणापमत्तो
छण्ह पि विराहओ होइ।। (पुढवीआउक्काए
तेऊवाऊवणस्सइतसाण। पडिलेहणआउत्तो छह आराहओ होइ।।)
(उत्त २६ २५, २६, ३०) प्रतिलेखना करते समय वस्त्र या शरीर को न नचाए, न मोडे, वस्त्र के दृष्टि से अलक्षित विभाग न करे, वस्त्र का
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